सफ़ेद घोड़े की नाल से सुखी होता है भविष्य,
माणिक मुल्ला की कहानियों में खोजते हैं हम अपनी दोपहर की आकांक्षाएँ, प्रेम का
निर्धारित करते हैं आर्थिक मूल्य और पढना चाहते हैं उसे मैट्रिक के गणित की तरह, नैतिक
विकृति से दूर रहने की कोशिश में हम परिष्कृत कायरता धारण कर लेते हैं। मर गए हैं सूरज के छह सभी घोड़े, हमारे अंधेपन से। सुर्योदय रुका हुआ है, इंतजार है सूरज के सातवें
घोड़े का।
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