Monday 1 February 2016

शहर महबूबा सा

किसी शहर से अढाई बरस तक रूठे रहना और बिछड़ने के बाद मुहब्बत हो जाना कितनी अजीब सी बात है।
जयपुर शहर के साथ कुछ ऐसा ही रिश्ता है मेरा। इसके गुलाबीपन में आप कब खो जाएंगे पता ही नहीं चलता। शहर की ज़िंदगी और गाँव की ज़िंदगी के बीच खड़े इस मेट्रो शहर की पुरानी इमारतों में एक ज़ादू भरा है और नई इमारतों में खिंचाव।
मैं खोया हूं इस शहर के ज़ादू में।
(फोटो: सुमेर सिंह राठौड़)

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