किसी शहर से अढाई बरस तक रूठे रहना और बिछड़ने के बाद मुहब्बत हो जाना कितनी अजीब सी बात है।
जयपुर शहर के साथ कुछ ऐसा ही रिश्ता है मेरा। इसके गुलाबीपन में आप कब खो जाएंगे पता ही नहीं चलता। शहर की ज़िंदगी और गाँव की ज़िंदगी के बीच खड़े इस मेट्रो शहर की पुरानी इमारतों में एक ज़ादू भरा है और नई इमारतों में खिंचाव।
मैं खोया हूं इस शहर के ज़ादू में।
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