पहली जनवरी याद करते करते 26 जनवरी आ गयी। स्वतंत्रता की मर्यादा निर्धारित की गयी और
गण_तंत्र का जन्म हो गया। अधिकार मिले,
कर्तव्य निर्धारित हुए और रक्त की अंतिम बूँद तक देश की रक्षा के संकल्प से देश का
(आत्मा का नहीं) आकाश गूंज उठा। थोडा सा गर्व
हुआ ‘चयनित इतिहास’ और देखे गए भविष्य के सुखद अतार्किक स्वप्न पर जिसमें सुख की
रोशनी की अधिकता से व्यक्ति लोकतंत्र का रास्ता भूल जाता है।
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