Sunday 25 September 2016

प्रेम में अधिकारों का छिन जाना

नायिका जा रही थी और नायक... चुपचाप देख रहा था। उसे रोक कर अपने आलिंगन पाश में बाँध लेने के लिये, मगर मजबूर था। क्योंकि नायिका ने अपना अंतिम निर्णय सुना दिया था। उधर वो भी बेचैन थी, मन ही मन में उसने कहा 'मैं अभी भी तुम्हारी हूँ', और नायक बस रो पड़ावह सोच रहा था
'किस अधिकार से कहूँ कि तुम मेरी हो? तुमने तो सारे अधिकार ही छीन लिए हैं मुझसे...!'

चित्र : सचिन भाटिया