Sunday 24 January 2016

जाड़े की धूप और तुम्हारा साथ

तुमको गए 6 महीने हो गए हैं बरसात आयी और वह भी चली गयी तुम ने एक ख़त भी नहीं लिखा मैं तुम्हारा इंतजार करता रहा कि तुम आओगे और हम एक बेहतर खुबसूरत दुनियां बनायेंगें, पर तुम नहीं आए जीवन जम गया हैजाड़े की धूप में बैठा हूँ और तुम्हारे साथ बिताए पुराने पल याद कर रहा हूँ। तुम जानते हो, तुम्हारे साथ ज़िंदगी मुझे जाड़े की धूप की तरह गुनगुनी लगती है।
(फोटो: सुमेर सिंह राठौड़)

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