I सब बोलते हैं खूब बोलते हैं लगता हैं बोल बोल के बदल देंगे सब कुछ। लेकिन पता है जो बोलते हैं वो सब झूठ होता है।
कुछ बोलते हैं रटा हुआ कुछ बोलते हैं बोला हुआ पर बोलते सब है। सबकी नज़र में सिर्फ गोलपास्ट होता है और मारते रहते है फुटबॉल को जब तक गोल ना हो जाए।
भईया हम तो बोलते नहीं है क्यों कि पता है कि बोलेंगे तो वो झूठ होगा।
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