असंतोष जीवन की सबसे मूल्यवान पूँजी है। जब तक हमारे मन में संतोष की भावना रहती है तब तक हमारे प्रयासों में जोश और तन्मयता की मात्रा इतनी नहीं हो सकती जितनी की मन में असंतोष होने पर। इसलिए बहुत जरूरी है कि हर वक़्त किसी न किसी तरह से खुद को असंतुष्ट रखा जाए। असंतोष ही जूनून का प्रेरक है हमें ये बात पता हो तो हम इसका अपने लिए फायदा उठा सकते हैं।
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