Tuesday 19 January 2016

क्या यूँ ही मर जायेंगें हम सब एक दिन ?

मरना भयावह क्यों है जब कि वह कलेवर का परिवर्तन मात्र है। मरना विशेष विषय नहीं, मुख्य तो मौत से पहले का जीवन है। जीवन के रंग ही निर्णय करते हैं कि मौत का पहनावा कैसा होगा। ठीक वैसे ही जैसे भविष्य की जड़ अतीत में धँसी होती हैं। दरअसल मरना जिन्दा होने की प्रक्रिया हो सकती है। मौत के भय से मुक्त होकर जिंदगी को जिस्म से लपेट लेने की जरुरत है। तो चलें... 

(फोटो: सुमेर सिंह राठौड़)

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