नव वर्ष में
मात्र 'नव' नामक
शब्द नया है।
इसके अतिरिक्त सब
कुछ पुराना - प्रेम
की आँच हो
या रश्क़ की
सर्दी। जब कैलेण्डर
ने अपना पन्ना
बदल लिया तब
किसान खेत में
था और मरीज़
अस्पताल में। हमारी
चेतना हमेशा अधूरेपन
के रास्ते पे
ही क्यों गमन
करती है! क्या
आदम के श्राप
में "स्वार्थ' भी था!
नयापन वक्त की
नहीं बल्कि प्रकृति
की विशेषता है तो
चलो कुछ नया
करते हैं !
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