Saturday 16 January 2016

एक खामोश डायरी को पढ़ना

मधुकर उपाध्याय की किताब 1915 गाँधी: एक खामोश डायरी पढ़ी। डायरी मोहन से महात्मा तक की यात्रा से परिचय कराती है। पुस्तक की शैली गाँधी की तरह ही सहज-सरल है जो उपदेश कम और उत्साह अधिक प्रदान करती है। यह किताब बताती है कि गाँधी एक आम आदमी थे और हम भी गाँधी बन सकते है। गाँधी निरंतर सीखने का नाम है। गाँधी को राजघाट संग्रहालयों चौराहों से घर बुलाने का वक्त आ गया है।
P.C.-Peeyush Parmar

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