लो
जला दिये मैंने वो सारे ख़त तुम्हारे, हर
एक हर्फ़, जो तुमने मुझसे कहा था। और वो सभी पंक्तियाँ जो मुझे सबसे
ज्यादा सुकून देती थीं। अब
सब कुछ जल गया, मेरे स्वाभिमान के तेज से या यूँ कहूँ
कि मेरे क्रोध की ज्वाला में,
पर
ये तो कुछ शब्द थे चन्द पंक्तियाँ थीं जो कागज पर लिखी थीं