Friday 15 July 2016

लो मैंने जला दिये सारे ख़त तुम्हारे

लो जला दिये मैंने वो सारे ख़त तुम्हारे, हर एक हर्फ़, जो तुमने मुझसे कहा था। और वो सभी पंक्तियाँ जो मुझे सबसे ज्यादा सुकून देती थीं। अब सब कुछ जल गया, मेरे स्वाभिमान के तेज से या यूँ कहूँ कि मेरे क्रोध की ज्वाला में,
पर ये तो कुछ शब्द थे चन्द पंक्तियाँ थीं जो कागज पर लिखी थीं
मगर उस एहसास का क्या जो इन शब्दों में हम दोनों ने मिलकर पिरोया था।

चित्र : अजय कुमार

Monday 11 July 2016

लौटने के लिए आते हैं पर कभी लौट नहीं पाते हैं

हम चले आते हैं लौटने की ख़्वाहिशें लेकर लेकिन कभी लौट नहीं पाते।
कल डॉक्युमेंट्री देखी थी ताण बेकरो। जोगी, भील और कालबेलिया जनजातियों पर बनी है।
सवालों के जवाब देते हुए खुद पर गुस्सा आ रहा था। क्या इन जनजातियों के कोई हक़ नहीं हैं।
इनसे परम्पराएं तो छूट गई पर आधुनिक ना हो पाए। लटक गए बीच में।
कितना कठिन जीवन है बिना शिक्षा, बिजली, घर और रोटी के।
फिर भी मुस्कराते हैं।


(फोटो: सुमेर)

ये रास्ते हैं कि शतरंज की चालें

खुद के होने को ढूंढना सबसे कठिन काम है। मैं हर रात खुद को बड़ी मुश्किल से खोज निकालता और अगली शाम तक फिर से तलाश रहा होता हूं अपना वजूद।
कई बार किसी जगह हम खुद से डर जाते हैं। फिर उस जगह हम कभी सहज हो ही नहीं पाते। 
बहुत मुश्किल खेल है यह। इसे खेलने के लिए शातिर होना पड़ता है। मैं खुद को खोजता हूं तो शातिरपना मुझे नकार देता है।
(फोटो: सुमेर)

हवा में हिलता अस्तित्व

जहाज में आवाज का नामोनिशान नहीं था। अंदर आदमी थे पर बनावटी चुप्पी से सने हुए और बाहर सफ़ेद बादल जो आत्मा के साथ बकबक किये जा रहे थे। जमीन का आँखों के सामने न होना भयावह था और आसमान का और दूर होना दुखद। हवा गति देती है और अस्तित्व भी। जमीन स्पर्श देती है और सहारा भी। हवा में अस्तित्व की तलाश आसान लगती है। हम त्रिशंकु की भूमिका में आत्मविश्लेषण करते हैं।
PC : Peeyush 

ईद की मुबारकबाद मुहब्बत के लिए...

ठांय ठांय की अावाज से गूंजता अासमान, लाल रंग मे रंगी सेवइयां, सफेद पैरहन पर जुलेखा के अाँसुओं के धब्बे और अांखों के पानी मे हिलती दुनियाँ। अाज ईद है और मैनें अपनी सारी प्रार्थनाएँ और मुबारकबाद मुहब्बत के लिए बचा कर रख ली है। एक पूरी रात केवल चांद को देखो और एक कविता लिखो। अगर तुम्हारे अंदर मुहब्बत के लिए प्रार्थना है तो वह दुनियाँ की सबसे खूबसूरत कविता होगी। मुहब्बत जिंदाबाद रहे।

(फोटो: सुमेर)