सपने रात की पूंजी हैं। यह पूंजी ही हमें आकर्षित करती है कि हम रात की गोद में खुद को सौंप दें। नींद एक पवित्र और अनिवार्य लालच के सामने जीव का समर्पण मात्र है। जब जीवन यथार्थ के खुरदरी जमीन पर रगड़ खा रहा होता है और सपने साँस लेना बंद
कर देतें हैं, उस वक्त नींद विदा ले लेती है। रात का सत्य जानना हो तो सपनों और नींद से बगावत कर दो।
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