ज़िंदगी भी चरखे की मानिंद है। जब तक चरखा चलता है बुनता रहता है और जब रुक जाता है तो बस रुक जाता है।
ठीक उसी तरह ज़िंदगी में रंगो भरे धागे बुनने के लिए हमारा चलते रहना भी जरूरी है। इस दौड़ में हम तब तक ही है जब तक हम चल रहे है। रुक गये कि हो गये बाहर।
इसलिए चलते रहिए दौड़ते रहिए बस रुकिए मत ताकि जीवन मे रंगत बनी रहे।