समय का पहिया हमेशा चकाचक रहता है। इसकी गति कभी कम
होती ही नही। ना इसमें कभी हवा कम होती है और ना ही पंक्चर होता है।
कैसा भी रास्ता हो बुरा, भला, ठोकरों वाला कब निकल जाता है पता ही नहीं चलता।
हम बस उन पहियों पर सवार अपने चेहरे के भाव बदलते
रहते हैं। और पहिया बेपरवाह हर भाव को अपनें समेटते हुए दौड़ता रहता है।
बड़ी मजेदार है यह ज़िंदगी की गाड़ी।
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