Thursday 7 April 2016

हाल-ए-दिल, इजहार से पहले

जानती हो?
मैं शायद डूब सा चुका हूँ, तुम्हारे रूप के सागर में। कभी कभी तैरने की कोशिश करता हूँ और उस पार जाना चाहता हूँ लेकिन अब आभास होता है कि डूब जाऊंगा क्योंकि तुम मुझे बहुत ज्यादा कंफ्यूज करती हो मैं समझ नहीं पाता कि अपने मन की बात तुमसे कैसे कहूँ और ये भी कितनी अजीब बात है ना? एक तुमको छोड़कर बाकी सब जानते हैं कि मैं तुमसे प्रेम करता हूँ


चित्र : अजय कुमार

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