Friday 1 April 2016

तुम्हारी आँख ही मेरी कहानी है

अनजानी राह का पथिक हूँ। आजकल तुम्हारी आँखों की ही कहानियों को गुनगुनाता रहता हूँ। कल जब सूरज अंतिम बार मुझसे विदा ले रहा होगा तुम जरूर आना। मैं अँधेरे में तुम्हारी कहानियों के बगैर नहीं रह सकता। तुम्हारी अनुपस्थिति मुझे हमेशा डराती रहती है। आँखों की काली रेखा सवाल पैदा करती है। दुनियाँ के सवालों के बोझ से मेरे कँधे दुःख रहे हैं। मुझे अब ऑक्सीजन की जरुरत है जो कि तुम्हारी साँस है।
(Sumer Singh Rathore)

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