Wednesday 13 April 2016

लाल आलता और लाल बेर

अँगुलियों का रंग लाल था और मुठ्ठी में लाल रंग की बेर भरी थी होठों पर लाल रंग की चमक और आँखों में लाल चुहलपन भरकर उसने एकबार देखा और पूरब की छत पर एक सूरज निकलकर झांकने लगा बेर की खटास पूरे सृष्टि में फ़ैल गयी थी मुँह और आँख में पानी था सिन्दूर की एक रेख उत्तर से चढ़कर दक्खिन में कहीं उतर कर गुम हो गयी और मैं अकेले खड़ा रह गया

         (Photo: Sumer Singh Rathore)
 

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