समय ने गोता लगा दिया। सोचा हर बार की तरह गुजर जायेगा लेकिन अंतिम वक्त पर उदासियां लिपटने लगी हैं।
अप्रेल का शांत, सुनहरा, आवाज़ों का महिना इस रास्ते का अंतिम पड़ाव बनकर आया है। ज्यों मौसम उदास हो रहा है इस रास्ते में बीते वक्त की कतरने उड़कर चेहरे से टकरा रही हैं।
बहुत अज़ीब था यह रास्ता। समझ ही नहीं आता कि बिना पता चले कब यह बहुत कुछ देकर खत्म हो गया।
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