युद्ध के दो ही कारण हैं, बाजार और वर्चस्व। पूरी दुनिया पर बाज़ार का वर्चस्व है और उसी बाजार पर
वर्चस्व के लिए युद्ध होते हैं। जीतता कोई नहीं सिवाय बाजार के, लेकिन हर बार हार जाती है मानवता। मरते हैं लाखों ऐसे लोग जो सिर्फ अपनी
क्षुधा तृप्ति के लिए जीते रहे। उन्हें किसी की हार जीत से कोई वास्ता नहीं उन्हें
चाहिए दो वक्त की रोटी और चंद शामें अपने परिवार के साथ...
चित्र : अजय कुमार |
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