Thursday 7 April 2016

आखिर किस क़दर बदल गई है जिंदगी।

जलन होती थी मुझे 
उन आंसुओं से जो तुम्हारे गुलाबी गालों को चूमकर तुम्हारे होठों को भिंगा देते थे। दर्द होता था मुझे जब तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान नहीं होती थी। बेचैन हो जाता था मैं, जब कभी तुम्हारे होंठो को छूकर कर एक भी आवाज़ मेरे कान में नहीं पड़ती और दिन बीत जाता था। कल तक मैं तुम्हें देखे बिना रह नही पाता था और आज तुम्हारे सामने आने की हिम्मत नहीं रही।

चित्र : अजय कुमार

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