लिखना है यार। क्या लिखूं? बहुत
मुश्किल है लिखना?
मैं जब भी बहुत दिनों बाद लिखने बैठता हूं तो इन्ही
सवालों से घिर जाता हूं। लिखने के धंधे में हैं तब लिखना शायद मुश्किल ना हो लेकिन
दिल से लिखना हो तो ऐसे ही लिखा जाएगा, दिनों
बाद या महिनों बाद कभी-कभी।
आजकल कोशिश करता हूं की समझ लूं लिखने की परिभाषाएं, ताकि बता सकूं क्या लिखा है कविता, कहानी या नज़्म। उफ्फ ये परिभाषाएं।
(Photo; Sumer Singh Rathore)
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