गाँव में पुराना नीम का पेड़ कट गया। पेड़ के कटने के
अगले ही दिन बब्बन काका चल बसे। उसके बाद कभी चौपाल नहीं बैठी। आग हर जगह जल रही
थी पर उसके चारो ओर बैठकर बात करने के लिए मन नहीं थे। शहर के साज की आवाज से गाँव
गूँज रहा है। डिस्को के शोर में कीर्तन भूल चुके हैं हम क्यों कि राम अब बब्बन
काका का राम नहीं बल्कि एक नेता है।
No comments:
Post a Comment