आज कबीर आया था, नीरू और नीमा को पूछ रहा था। कह दूँ कि सभ्यता के सभ्य होने की प्रसव पीड़ा
में दोनों मर गए। सभ्य होने की प्रक्रिया में नाजायज़ कुछ भी नहीं होना चाहिए।
कबीर! आज भी मनुष्य से अधिक पवित्रता प्यारी है। तुम्हारा आना आज सौन्दर्य का विषय
है, सत्य का नहीं क्यों कि आज सबका सत्य अलग है और मालिक भी। तुम्हारे जाने के
बाद काशी ही मगहर हो गयी कबीर!
चित्र साभार : अजय कुमार |
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