उदास सुबहों को मैं पढता हूं नामी लेखकों की मौत को। उनकी कहानियों में खोजता हूं अपना जीवन।
बहुत बार सोचता हूं की सुनूं हवा को, पेड़ों की सरसराहट को, पंछियों को, गिलहरी को, मोहब्बत को और भूल जाऊं अवसाद के सारे गीत। ढूंढता फिरूं सिर्फ खुशियां पर अवसाद है कि किसी कोने से बजने लगता है गाहे बगाहे।
जाने क्यूं कभी-कभी अवसाद के गीत अच्छे लगते हैं। ये मुस्कराहटों के रोने के गीत।
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