Sunday 28 February 2016

पँखे की लोरी

अचानक से लगा जैसे कोई हौले-हौले हवा में से सर्दी निकाल रहा है, शामें गर्म होने लगी हैं। पँखे की आवाज़ मुझे एक अज़ीब सा सुकून देती है। नॉस्टेल्जिया टाइप फील होता है।
दिल्ली में यह पहली गर्मी है। गर्मी की रातें सुकून देती है। पँखें की आवाज़ से बाहर का शोर कमरे में दाखिल नहीं हो पाता।
एक एकांतप्रिय मिनख के लिए यह एकांत बहुत प्रिय होता है।रातों को मदहोश करता एकांत।



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