Saturday 6 February 2016

प्रश्न ही नियति है !

वक्त का बीतना क्यों जरुरी है? क्या वक्त के साथ हम भी बीत जायेंगें? क्या गिर जायेंगें भविष्य के स्वप्न लेकर अतीत के पाताल में? क्या रास्ते के बिना नहीं पहुँच सकते प्यारी मंज़िल तलक? क्या वर्तमान संघर्ष का पर्याय बना रहेगा हमेशा हमेशा के लिए? अगर हाँ तो क्यों अगर नहीं तो रास्ता क्या है?
         क्या हमारी नियति मात्र प्रश्न से ही निर्धारित होगी? वक्त आ गया है कि सभी प्रश्न मिटा दिए जाएँ...तुरंत  
चित्र : पीयूष परमार 

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