Wednesday 9 December 2015

कोठे पर शांति, मन में लिप्सा

पहले हमने युद्ध लड़े फिर हमने कहा युद्ध किसी समस्या का हल नहीं हो सकते। सारी समस्याओं का हल शान्तिपूर्वक बात करके भी निकाला जा सकता है। फिर शान्तिपूर्वक बात करने का माहौल बने इसलिए युद्ध लड़े। फिर तुम आए और तुमने कहा कि हम शांति के दूर के मामा हैं। हमने शांति को तुम्हारे जिम्मे कर दिया। उस समय हम ये थोड़े जानते थे कि तुम शांति को ले जाकर बाज़ार में बिठा दोगे।

(फोटो साभार: सुमेर सिंह राठौड़)

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