दुनिया में भूख शोषण असमानता अन्याय लूट खसोट विभाजन शत्रुता का
अँधेरा फैल गया है। मानवता मसीहा के इंतजार में बैठी है। क्या सुबह सिर्फ
सूरज से होती है उम्मीद से नहीं? वक्त आ गया है कि प्रत्येक व्यक्ति ख़ुद स्वयं का
मसीहा बन जाए। हमारे जागृति के बाद भविष्य सदैव मात्र एक कदम
दूर होता है। चलो लिख देते है उम्मीद की कलम से नई सुबह के आकाश
में मनुष्यता की मुक्ति का गीत।
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