Sunday 13 December 2015

क्या सुबह सिर्फ सूरज से होती है उम्मीद से नहीं?

दुनिया में भूख शोषण असमानता अन्याय लूट खसोट विभाजन शत्रुता का अँधेरा फैल गया हैमानवता मसीहा के इंतजार में बैठी हैक्या सुबह सिर्फ सूरज से होती है उम्मीद से नहीं? वक्त आ गया है कि प्रत्येक व्यक्ति ख़ुद स्वयं का मसीहा बन जाएहमारे जागृति के बाद भविष्य सदैव मात्र एक कदम दूर होता हैचलो लिख देते है उम्मीद की कलम से नई सुबह के आकाश में मनुष्यता की मुक्ति का गीत।

(फोटो: सुमेर सिंह राठौड़)

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