Monday 7 December 2015

रात के सन्नाटे की खोज में सड़क

आधी रात को मन ही बेचैन हुआ करता था आजकल तो रास्ते भी बेचैन रहने लगे हैं दिन भर भाग रहे लोगों और गाड़ियों के बोझ से घायल सड़क को वह एकांत भी नसीब नहीं होता जो एक प्रेमी युगल को चाहिए रास्ते का प्रेम एकांत हैं जिसमे वह प्रतिदिन मानव समाज के सापेक्ष अपना वितान माप लेता है अब रात के बारह बजे दिल में शहनाई और सड़क पर सभ्यता की कराह गूंजती है

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