आधी रात को मन ही बेचैन हुआ करता था आजकल तो रास्ते भी बेचैन रहने लगे
हैं। दिन भर भाग रहे लोगों और गाड़ियों के बोझ से घायल सड़क को वह एकांत भी
नसीब नहीं होता जो एक प्रेमी युगल को चाहिए। रास्ते का प्रेम एकांत हैं जिसमे वह प्रतिदिन
मानव समाज के सापेक्ष अपना वितान माप लेता है। अब रात के बारह बजे
दिल में शहनाई और सड़क पर सभ्यता की कराह गूंजती है।
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