Tuesday 22 December 2015

गांव ज़िंदगी है

गांव सुकून है, गांव चैन है, गांव ज़िंदगी है। शहर के भागदौङ भरे जीवन से निकलकर गांव में कदम रखते ही कितनी खुशी होती है।
चारों तरफ खुलापन, पेङ-पौधे, पशू-पक्षी और मिलनसार लोग। स्थानीय संस्कृति, खान-पान, लोक संगीत इन सब को देखकर एक अलग ही एहसास होता है।
खुली सङकें और उनपर कुलांचे भरते वन्यजीवों को देखकर लगता होता है कि हमारा भी कोई अस्तित्व है, हमारी भी आज़ादियां है।

आह कितना सुकून है यहां।

(फोटो: सुमेर सिंह राठौड़)


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