सर्दी की शाम में परीक्षा से उपजती गर्मी से मन बेचैन हो सकता है पर
खिड़की पर एक कबूतर का खिलंदडपन और दूर कही संगीत की बजती धुन आनंद के साम्राज्य को
नष्ट नहीं होने देती। दुनियाँ में सैकड़ों चुनौतियाँ है पर संभावनाओं की
जमीन भी असीम है। इंतजार है उस सुबह का जहाँ किताबों की सतह पर
बनेगें चिड़ियों के घोसलें और कलम की स्याही में तैरेंगीं मछलियाँ और दुनियाँ और
खुबसूरत हो जाएगी।
किताबों वाले घोंसले बेहद ख़ूबसूरत होते हैं...मीठा सा लिखा है :)
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