Sunday 13 December 2015

दिल्ली की सर्दी और परीक्षा की शाम

सर्दी की शाम में परीक्षा से उपजती गर्मी से मन बेचैन हो सकता है पर खिड़की पर एक कबूतर का खिलंदडपन और दूर कही संगीत की बजती धुन आनंद के साम्राज्य को नष्ट नहीं होने देतीदुनियाँ में सैकड़ों चुनौतियाँ है पर संभावनाओं की जमीन भी असीम हैइंतजार है उस सुबह का जहाँ किताबों की सतह पर बनेगें चिड़ियों के घोसलें और कलम की स्याही में तैरेंगीं मछलियाँ और दुनियाँ और खुबसूरत हो जाएगी

(फोटो: आनंद प्रधान)

1 comment:

  1. किताबों वाले घोंसले बेहद ख़ूबसूरत होते हैं...मीठा सा लिखा है :)

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