Sunday 27 December 2015

आसमाँ नीला क्यों है...

कितना कुछ होता है हमारे पास उसके बावजूद कभी-कभी लगता है कि हमारे अंदर कोई ऐसा अधूरापन है जो हमेशा कचोटता रहता है।
हमें किसी की जरूरत होती है और उसी के छलावे में उलझते जाते है। दोष हमारा ही होता है।
अनदेखों के ख़्वाब सुहाने होते पर उन ख़्वाबों की परिणति दु:ख देती है।
इस वजह से हमारा अकेलापन अधूरापन और ज्यादा बढ जाता है। हम देखते है कि सबकुछ नीला-नीला है

            (फोटो: सुमेर सिंह राठौड़)

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