"ज़िंदगी यादों से नहीं
होती यादें ज़िंदगी का हिस्सा होती हैं"
यादें भी सच में रेत की तरह होती हैं।
कई बार हम ज़िंदगी यादों के हिसाब से चलाने लगते हैं और उसमें हम अपने आसपास और खुद
के होने को नहीं जी पाते। हमारे आस पास कितनी कहानियां हैं। कितने छोटे-छोटे खुशियों
के मौके हैं। जाने क्यों हम हर जगह खरीददार बने रहते हैं, खुद नहीं होते।
'लिसन अमाया' आई लव ब्यूटिफुल
सोल :)।
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