JNU के विद्रोही जी मर गए लेकिन उनकी
आत्मा अकलेश में घुस गयी और उन्होंने समाजवादी तरीके से सामन्तवादी परिवार से विदरोह
कर दिया। पहली बार समाजवादी पार्टी में साम्यवादी क्रांति का प्रयोग हुआ है। कहाँ गए
मार्क्स चचा के विरोधी जो कहते थे क्रांति नहीं होगी। जॉइंट फैमिली टूट रही है... खबर
है कि समाजवादी पार्टी को जोडे रखने में RSS मदद करेगी ताकि संयुक्त परिवार की भारतीय
संस्कृति सुरक्षित रहे। सब गोलमाल है।
No comments:
Post a Comment