Thursday 27 October 2016

'तलाश' खुद की..!

अब निकल चुका हूँ मैं खुद की तलाशमें, बहुत पहले मैंने अपने भीतर जिसे पाया था, लंबे अरसे से उसे फिर नहीं देखा, शायद कहीं खो गया है वो, इस भीड़ में शामिल होते होतेया बन चुका है इसी भीड़ का हिस्सा जिसका होना सिर्फ दिखावा है, जिसकी खुद की कोई सच्चाई या तो होती नहीं और अगर होती है तो शायद कभी दिखती नहीं,
शायद इसी भीड़ में खो गया था मैं...

चित्र : अजय कुमार

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