Monday 28 March 2016

अनवरत यादें

जब मेरे साथ कोई नहीं होता. तुम्हारी यादें तब भी मेरे साथ रहती हैं. कदम-दर-कदम तब भी जब मैं दर-बदर होता हूं. निपट अंधेरे में भी और जबर उजाले में भी. एक तुम्हारी यादें ही तो हैं जो कभी धोखा नहीं देतीं. इकतरफा और हमेशा जेहन से लिपटी यादें. किसी गहरे कुएं में झांकने पर सुनाई पड़ने वाला वो  तुम्हारा अट्ठहास मेरी यादों के पिटारों का सबसे अहम कोना है, तुम सुन रही हो न?


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