तालाब के किनारे बैठ कर सभ्यता के गीत
गाए जा सकते हैं। मंदिर की चौखट पर संस्कृति का निर्माण हो सकता है। संसद में दिया
जा सकता है भाषण शांति और युद्ध पर एक साथ। आकाश में सप्तरंगी इन्द्रधनुष बन सकता
है और गिर सकती है बर्फ़ पहाड़ों की ऊँचाईयों पर। यह सब जिंदगी का एहसास दे सकते हैं
जिंदगी नहीं। जिंदगी हमेशा एक औरत के कोंख में पलती है जिसे सारी दुनियाँ माँ कहती
है।
(Photo; Sumer Singh Rathore)
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