Friday 4 November 2016

कलयुगी ज्ञान : नमक का दारोगा - प्रेमचंद

नौकरी में ओहदे पर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मजार है। निगाह चढावे-चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूँढना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो। वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है, जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आय बहता स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है। वेतन मनुष्य देता है, इसी से उसमें वृध्दि नहीं होती। ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है, इसी से उसकी बरकत होती हैं।
P.C.-Peeyush Parmar

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