Thursday 3 November 2016

पूंजीवादी - खलील ज़िब्रान

एक टापू पर मैंने ऐसा जीव देखा जिसका सिर मनुष्य का था और पीठ लोहे की। वह बिना रुके धरती को खा रहा था और समुद्र को पी रहा था। मैंने पूछा, क्या तुम्हारी भूख कभी नहीं मिटी और प्यास कभी शान्त नहीं हुई?"
वह बोला, "मैं सन्तुष्ट हूँ। मैं खाते-खाते और पीते-पीते थक चुका हूँ लेकिन मुझे डर है कि कल को खाने के लिए धरती और पीने के लिए समन्दर नहीं बचेगा।"
PC : PEEYUSH PARMAR

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