केदारनाथ सिंह के लिए पृथ्वी मनुष्य का घर है इसीलिए यह सुन्दर और
समर्थ है। केदारजी की कविताओं में अकाल में भी दूब बची रह जाती है। दूब में आशा-विश्वास
और जीवन सौन्दर्य की अनुभूति है। दुःख अनिवार्य है इसीलिए केदार जी की कविताओं में
वह सहज-साधारण और खूबसूरत है। अगर स्मृति और साहस हो तो दुःख के बीच से ही आनंद का
रास्ता फूटता है।
“अभी बहुत कुछ बचा है
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