Friday 17 March 2017

केदारजी की कविताओं में दूब

केदारनाथ सिंह के लिए पृथ्वी मनुष्य का घर है इसीलिए यह सुन्दर और समर्थ है। केदारजी की कविताओं में अकाल में भी दूब बची रह जाती है। दूब में आशा-विश्वास और जीवन सौन्दर्य की अनुभूति है। दुःख अनिवार्य है इसीलिए केदार जी की कविताओं में वह सहज-साधारण और खूबसूरत है। अगर स्मृति और साहस हो तो दुःख के बीच से ही आनंद का रास्ता फूटता है।

“अभी बहुत कुछ बचा है
अगर बची है दूब”
P.C.-Peeyush Parmar

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