गाँव के ताल का पानी उतर
गया था और ताल के किनारे कुत्तों का एक समूह कबड्डी के खेल की नक़ल उतार रहा था.
ताल के बगल वाली नहर ने थोड़ा सा गर्भजल बचा रखा था ताकि नए प्रवाह का जन्म संभव हो
सके. इन्सान की आवाजाही की कमी ने सूनेपन को और गहरा कर दिया था. पानी का उतर जाना
जिंदगी का उतर जाना होता है चाहे वह ताल का हो या आँख का.
चित्र : पीयूष |
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