Monday 11 July 2016

लौटने के लिए आते हैं पर कभी लौट नहीं पाते हैं

हम चले आते हैं लौटने की ख़्वाहिशें लेकर लेकिन कभी लौट नहीं पाते।
कल डॉक्युमेंट्री देखी थी ताण बेकरो। जोगी, भील और कालबेलिया जनजातियों पर बनी है।
सवालों के जवाब देते हुए खुद पर गुस्सा आ रहा था। क्या इन जनजातियों के कोई हक़ नहीं हैं।
इनसे परम्पराएं तो छूट गई पर आधुनिक ना हो पाए। लटक गए बीच में।
कितना कठिन जीवन है बिना शिक्षा, बिजली, घर और रोटी के।
फिर भी मुस्कराते हैं।


(फोटो: सुमेर)

2 comments:

  1. सवाल सवाल पूछने का नहीं जवाब देने का है
    हक़ उनका भी है हमारा भी
    उनको आगे आना है और हमें वापस लौटना है।

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