खुद के होने को ढूंढना सबसे कठिन काम है। मैं हर रात खुद को बड़ी मुश्किल से खोज निकालता और अगली शाम तक फिर से तलाश रहा होता हूं अपना वजूद।
कई बार किसी जगह हम खुद से डर जाते हैं। फिर उस जगह हम कभी सहज हो ही नहीं पाते।
बहुत मुश्किल खेल है यह। इसे खेलने के लिए शातिर होना पड़ता है। मैं खुद को खोजता हूं तो शातिरपना मुझे नकार देता है।
अद्भुत अहसासों भरी सुन्दर रचना..
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