यमुना का दिल गंगा में डूब गया है। एक
नदी जो किसी की आँख से बह निकली थी, आज
मेरे जीवन का अस्तित्व गढ़ती है। सृजन का अधूरापन ही उसका प्राण है। संभावनाएं उसकी
साँस बनती हैं। मैं तुम्हारी अनादि सर्जना हूँ और तुम मेरी अनन्त सम्भावना। सुबह
के निरभ्र आकाश की नीलिमा तुम्हारे आँखों की गवाही है। तुम दूर हो और मैं मजबूर
लेकिन सुबह की नींद में तुम्हारा साथ ही मेरा स्वप्न है।
चित्र : पीयूष |
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