Monday 2 May 2016

सफ़ेद बादल और कौओं के गीत

सुबहें चहचहाहट भूल गई। चरम पर पहुंची गर्मी में ठंडा शरीर खिड़की पर लुढका रहता है। कातर निगाहों से सफेद बादल को गुजर जाने तक तकती हैं आँखें।
सुनो किसी को झूठा इंतिज़ार कभी मत करवाना। जिसकी छोटी सी दुनिया हो उसके लिए छोटे-छोटे वादे भी बहुत बड़े होते हैं।
दोपहरों में गौरेया नहीं बोलती, कौओं के गीत उदास होते हैं। तुम दुआ करना मेरे लिए बड़ी दुनिया की ताकि छोटे वादे भूल जाऊं।

       (फोटो: सुमेर)

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